रविवार, 3 फ़रवरी 2013

बलिदानों से बना राज्य

बलिदानों से बना राज्य 

बलिदानों से बना राज्य

यह राज्य बना बलिदानों से!
    विकसे संस्कृति अरमानो से!
          दुष्कर जीवन है पहाड़ का,
कंटकमय रहना है पहाड़ का!
       यहाँ चित्र उभरते कैनवास पर
             यहाँ नदियाँ गाती है गीत मधुर!
हवा सुनाती है राग अलग
     गाँवों का सौन्दर्य सजग!
         देखकर पलायन प्रतिभा का
जब राज्य बना आशा जागी
    सूरज ने भी निद्रा त्यागी!
         यह पावन धरती हिमगिरी की,
यह देव भूमि आस्थाओ की!
       यहाँ सदा नीरा नदियाँ बहती
          उत्तराँचल की सुन्दरता कहती!
गंगा यमुना का उद्गम यह,
        गंगोत्री का उल्लास यहाँ
            पर्वत जीवन का यथार्थ है यह!
यह राज्य नहीं है तीर्थस्थल
       ऋषियों मुनियों का तपस्थल है!
              दुनिया के सारे पुण्य धाम,
बद्री और केदार धाम!
       आस्था-श्रद्धा के केंद्र यहाँ,
          लगता विश्वासों का कुंभ यहाँ!
यह राज्य नहीं, है धर्म धाम,
     होते विनष्ट सब तामसी काम!
            यहाँ नंदा देवी की राजजात,
यहाँ बात बात में नयी बात!
        यहाँ वादी है यहाँ घाटी है,
         आश्रम मठ की परिपाटी है!
इसका जल पवन विशुद्ध रहे
         आचरण हमारा शुद्ध रहे
             हर दूषण और प्रदूषण से
               यह राज्य हमारा मुक्त रहे!

डॉक्टर रेणु पन्त