क्योंकि
अक्सर एक अंधेरे
कुएं में
बन्द पाती हू खुद को
बाहर की आवाजों को
सुन सकती हू
पर जब चिल्लाती हूँ
तो मेरी आवाज
अन्दर ही घुट कर रह जाती है
लाख कोशिश करने पर भी
मेरी आवाज बाहर की
आवाजों से कभी
मिल ही नहीं पाती
शायद,क्योंकि
एक औरत हू मैं ।
डा0 रेणु पन्त
A deep disgusting thinking which can't be false.
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